सूचना का अधिकार अधिनियम - 2005
अकादमी की स्थापना 13 नवम्बर, 1963 को हुई थी। पिछले 57 वर्षो से अकादमी संगीत, नृत्य, नाटक, लोकसंगीत, लोकनाट्य की परम्पराओं के प्रचार-प्रसार, संवर्द्धन एवं परिरक्षण का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश एक विशाल सांस्कृतिक क्षेत्र है, जिसकी विविध समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं के परिरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में अकादमी गतिशील है। प्रदेश में संगीत, नृत्य, नाटक, लोक विधाओं सम्बन्धी परम्पराओं के विषय में अधिक जागरूकता एवं जानकारी, नवोदित प्रतिभाशाली युवा कलाकारों को प्रोत्साहन, नवीन प्रतिभाओं का विकास एवं उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण, सांस्कृतिक कार्यकलापों का विकेन्द्रीकरण, प्रदेश के विभिन्न अंचलों में कार्यरत् स्वैच्छिक संस्थानों से सम्पर्क एवं उनके कार्यकलापों में सहायता, लुप्त हो रही विधाओं के परिरक्षण एवं प्रदर्शन की योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर सम्पन्न कराना, साथ ही सर्वेक्षण के आधार पर कार्यक्रमों को तैयार कर उन्हे जनता के समक्ष लाना, अकादमी की गतिविधियों में शामिल है।
अपने कार्यक्रमों को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु अकादमी द्वारा अपने अत्यन्त सीमित आर्थिक संसाधनों के अंतर्गत प्रतिवर्ष सम्भागीय नाट्य समारोह, अवध संध्या शीर्षक से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, राज्य नाट्य समारोह, नवांकुर, शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता, प्रादेशिक संगीत प्रतियोगिता, गज़ल सम्राज्ञी स्व0 बेगम अख़्तर की स्मृति में गायन कार्यक्रम यादें, कथकाचार्य गुरू लच्छू महाराज जी की स्मृति में दो दिवसीय कार्यक्रम नमन, अकादमी स्थापना दिवस के अवसर पर संगीतमय कार्यक्रम धरोहर, लखनऊ के घराने की कथक परम्परा के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य के कथक केन्द्र, द्वारा आयोजित कार्यक्रम, संगीत नृत्य एवं नाट्य पर आधारित अकादमी प्रकाशन त्रैमासिक पत्रिका ‘छायानट’ स्टूडियो रिकार्डिंग, पुस्तकालय एवं विभिन्न कार्यशालाओं के आयोजन के माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक गतिविधियों को और अधिक गतिशील व क्रियाशील बनाया जा रहा है।