नमन 2022-23

उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ द्वारा कथक केन्द्र के संस्थापक, निदेशक एवं कथक सम्राट पं. लच्छू महाराज जी की जयंती के अवसर पर दो दिवसीय ‘नमन’ कार्यक्रम का आयोजन दिनांक- 31 अगस्त, व 01 सितम्बर, 2022 को किया गया। आजादी का अमृत महोत्सव आयोजन की श्रृंखला के अन्तर्गत कथकाचार्य पं0 लच्छू महाराज की जयंती पर समारोह की प्रस्तुतियों को मुख्यतः कथक के लास्य अंग पर आधारित रखा गया। समारोह का उद्घाटन अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.राजेश्वर आचार्य, पूर्व अध्यक्ष डॉ.पूर्णिमा पांडेय एव अकादमी सचिव श्री तरुण राज ने दीप प्रज्जवलन तथा कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज के चित्र पर माल्यार्पण करके किया। अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने कहा कि महापुरुष अपने कृतित्व से जीते हैं और अपनी यश काया में हमारे बीच रहते हैं। अकादमी की पूर्व अध्यक्ष डॉ.पूर्णिमा पांडेय ने कहा कि कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज ने नृत्य को अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। अकादमी के सचिव श्री तरुण राज ने आरंभ में स्वागत करते हुए अकादमी की गतिविधियों की जानकारी दी और बताया कि कथक केन्द्र ने किस प्रकार अपनी 50 वर्षों की लंबी यात्रा तय कर ली है। इस लंबी यात्रा में कथक के कई विख्यात गुरु केन्द्र से जुड़े तथा केन्द्र ने ढेर सारी यादगार कथक प्रस्तुतियां दीं।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आरंभ कथक केन्द्र की प्रस्तुति ‘कृष्ण वंदन’ से किया गया जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं एवं उनकी बांसुरी का वर्णन किया गया जो राग ‘खमाज’ एवं ताल ‘कहरवा’ में निबद्ध था तथा इसमें नटवरी एवं कवित्त का भी समावेश किया गया। तत्पश्चात् लखनऊ की युवा नृत्यांगना सुश्री ईशा एवं मीशा रतन ने युगल नृत्य का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राधा कृष्ण पर आधारित कविता पर भाव प्रदर्शन से किया जिसके बोल - ‘विष्णु की मोहमयी महिमा के असंख्य स्वरूप दिखा गया कान्हा’, अन्त में तीन ताल में कवित्त, परन, बेदम तिहाई, चक्करदार का सुंदर निकास एवं जुगलबंदी की गई।

दिल्ली से आये त्रिभुवन महाराज ने अपनी प्रस्तुति ‘विरासत’ में सर्वप्रथम शिव और पार्वती के अर्धनारीश्वर रूप पर आधारित पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज द्वारा रचित ‘अर्धान्ग भस्म भभूत सोहे अर्ध मोहिनी रूप’, से अपने कार्यक्रम का आरंभ किया, जिसमें पंडित लच्छू महाराज जी द्वारा रचित कवित्त भी शामिल था। तत्पश्चात तीन ताल में त्रिभुवन महाराज ने पारंपरिक कथक नृत्य किया, जिसमें लास्य अंगो का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम की अन्तिम प्रस्तुति स्विटजरलैंड से आईं पाली चन्द्रा ने ‘कथक नृत्य’ की सुन्दर प्रस्तुत दी। गुरु विक्रम सिंघे, पंडित राममोहन महाराज और कपिला राज से कथक की बारीकियां सीखने वाली पाली चन्द्रा ने इस मौके पर लखनऊ से अपने गहरे जुड़ाव को भी याद किया। अपने कार्यक्रम में उन्होंने जयदेव रचित ‘गीत गोविन्द’ के दो पदों की प्रस्तुति की जिनमें राधा के वियोग और श्रृंगार का वर्णन किया गया।

इसी कड़ी के अन्तर्गत कार्यक्रम की द्वितीय संध्या में अकादमी अध्यक्ष पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, उपाध्यक्ष श्री धन्नू लाल गौतम, पूर्व अध्यक्ष पूर्णिमा पांडेय, अकादमी सचिव श्री तरूण राज, वरिष्ठ नृत्यांगना कुमकुम धर एवं पाली चंद्रा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारम्भ किया।

प्रथम प्रस्तुति कथक केन्द्र द्वारा गुरु वंदन-‘गुरु चरनन में शीश नवाऊं’ से हुआ जिसमें कलाकारों ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए पंडित लच्छू महाराज को कथक के पुष्प समर्पित किए। अगली प्रस्तुति में कथक केन्द्र के कलाकारों ने रास-रंग की मनमोहक प्रस्तुति दी।

तत्पश्चात विख्यात कथक नर्तक पद्मश्री पंडित शंभू महाराज की पौत्री इप्शिता मिश्रा ने एकल नृत्य से कथक गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अपने कार्यक्रम में कबीर बानी से शुरुआत करते हुए पारंपरिक तीन ताल की प्रस्तुति की।

दिल्ली की ही शुभी जौहरी और अमित खिंची का युगल नृत्य भी संध्या में आकर्षण का केन्द्र रहा। पंडित बिरजू महाराज के पुत्र पंडित जयकिशन महाराज की शिष्या शुभी ने सूरदास के पदों की प्रस्तुति की। दुबई की स्वरश्री श्रीधर ने नज्म- ‘गोरी करत श्रृंगार’ पर भाव प्रस्तुत किया। इस नज़्म को लखनऊ के दिवंगत गायक रवि नागर ने संगीतबद्ध किया था। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में नयनिका घोष ने निरतत् ढंग की प्रस्तुति की जिसमें लखनऊ घराने की बारीकियां और खूबियों का सुंदर प्रदर्शन था।