कथक केन्द्र - कार्यक्रम एवं कार्यशालाएं 2022-23

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अन्तर्गत कथक केंद्र लखनऊ द्वारा 30 दिवसीय प्रस्तुति परक कथक नृत्य कार्यशाला दिनांक 1 से 30 जून तक आरंभ की गई है जिसमें 06 वर्ष से 60 वर्ष तक के प्रतिभागी सम्मिलित हुए हैं। 50 वर्ष से ऊपर के प्रतिभागियों का एक अलग विशेष ग्रुप बनाया गया है एवं उन्हें विशेष प्रस्तुति के लिए तैयार किया गया।, जिसका शीर्षक आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत ‘मां तुझे सलाम था’, इस कार्यशाला में लगभग 110 प्रशिक्षणार्थी ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन सभी को 6 ग्रुप में बांटकर प्रशिक्षण देना प्रारंभ कर दिया गया है कार्यशाला का संचालन कथक गुरु श्रुति शर्मा एवं कथक गुरु नीता जोशी द्वारा किया जा रहा है जिसमें कार्यशाला छह पालियों में संचालित की गई। इसी कड़ी के अन्तर्गत कार्यशाला की भव्य प्रस्तुति 30 जून को संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में की गई.

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी (संस्कृति विभाग,उ0प्र0) द्वारा दिनांक 30 जून, 2022 को पद्मश्री डॉ योगेश प्रवीन जी पर केंद्रित अकादमी की पत्रिका ‘छायानट‘ का विमोचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि माननीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री जयवीर सिंह, विशिष्ट अतिथि सुविख्यात लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी, छायानट सम्पादिका सुश्री दुर्गा शर्मा एवं अकादमी सचिव श्री तरुण राज सहित कई कला-संस्कृति प्रेमी मौजूद रहे। सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलन कर समारोह की शुरुआत पद्मश्री डॉ योगेश प्रवीन पर केंद्रित अकादमी की पत्रिका छायानट के विमोचन कर की गई।

इस अवसर पर माननीय संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने कहा कि लखनऊ की धरती कला-संस्कृति-साहित्य व परंपराओं की धरती है। साहित्य नगरी लखनऊ के महान रचनाकार डॉ0 योगेश प्रवीन पर आधारित कार्यक्रम सराहनीय है। भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के तहत यह खुशबू पूरे देश में प्रसारित हो। प्रधानमंत्री के एक भारत-श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार करने के लिए देश के बलिदानियों का संदेश आगे की पीढ़ी तक पहुंचाया जायेगा। पदमश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि डॉ योगेश प्रवीन जैसे कालजयी लोग कम ही होते हैं, जो कला-संस्कृति की परंपराएं लेकर चलते हैं। डॉ योगेश जी एक बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे जो कला को जीते थे। डॉ योगेश प्रवीन पर आधारित इस अंक की संपादिका दुर्गा शर्मा ने डॉ योगेश की स्मृतियों व पत्रिका के संपादन के अनुभव साझा किये।

इसके उपरान्त अकादमी द्वारा आयोजित प्रस्तुतिपरक कथक कार्यशाला के प्रतिभागियों ने कथक की मनमोहक कथक सरंचनाएं ‘घिर आई घटा मतवारी सावन कि आई बहार रे, बज़्म-ए-गज़ल सांवरे सलोने सांवरा गिरधर मोरे मन भाए रे, सहित अन्य प्रभावी प्रस्तुतियां दी। इन सभी प्रस्तुुतियों का निर्देशन सुश्री श्रुति शर्मा एवं सुश्री नीता जोशी द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में संगीत निर्देशन एवं गायन कमलाकांत का था, तबले पर राजीव शुक्ला, शहनवाज खान, पखावज-दिनेश प्रसाद, सितार- नवीन मिश्र एवं बांसुरी पर दीपेन्द्र कुंवर ने शानदार संगत की।

इसी कड़ी के अन्तर्गत लखनऊ के गायक देवेश चतुर्वेदी ने पद्मश्री डॉ योगेश प्रवीन के लिखे भजन कान्हा ऐसी प्रीत तुम्हारी राधा अपना कुछ नहीं, गगन का पंछी उड़कर हारा, बहुत फिरा है मारा-मारा और नैया ले चल ओ मेरे मांझी सहित अन्य गायन प्रस्तुतियों से पूरा वातावरण संगीतमय कर दिया। उनके साथ संगत में तबला पर सुभाष शर्मा, की-बोर्ड पर संजीव चौहान और बांसुरी पर राज विभूति ने शानदार संगत की।

उ0प्र0संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ के अन्तर्गत स्थापित कथक केन्द्र, की छात्राओं द्वारा ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अन्तर्गत आयोजित स्वतंत्रता सप्ताह में कथक नृत्य नाटिका ‘‘मणिकर्णिका’’ का प्रस्तुतिकरण दिनांक 12 अगस्त, 2022 को राजकीय संग्रहालय, झांसी में तथा दिनांक 15 अगस्त, 2022 को सिरसागंज, मैनपुरी में की गई।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जहाँ कई वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों को न्योछावर कर देश को आजादी दिलाने का महान कार्य किया, वहीं कई लेखकों, कवियों ने भी अपनी लेखनी के माध्यम से आज़ादी के आन्दोलन को शक्ति प्रदान की। इस क्रम में सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने झांसी की रानी के संपूर्ण जीवन कृत्य पर आधारित कविता ‘झांसी की रानी’’ लिखकर भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई जी के योगदान का बड़ा ही सजीव चित्रण किया है।

इन्हीं पंक्तियों पर आधारित है नृत्य-नाटिका, ‘‘मणिकर्णिका’’। इस नृत्य संरचना में झांसी की रानी का बचपन, विवाह तथा वैधव्य के बाद रानी का अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष तथा उनके सर्वोच्च बलिदान का बहुत सजीव चित्रण किया गया है।

नृत्य संरचना मणिकर्णिका का निर्देशन डॉ0सुरभि शुक्ला एवं परिकल्पना श्री तरूण राज द्वारा की गई है तथा संगीत एवं गायन - श्री कमलाकांत, तबला एवं पढ़ंत - श्री राजीव शुक्ला, सितार - डॉ0 नवीन मिश्र, बांसुरी - श्री दीपेन्द्र कुंवर, मेकअप - श्री शहीर व साथी।

76वें स्वतंत्रता दिवस के सुअवसर पर दिनांक 15 अगस्त, 2022 को, विधान भवन के सम्मुख उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्य नाथ जी, के समक्ष ध्वजारोहण एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी के कथक केन्द्र लखनऊ द्वारा कथक केन्द्र के 75 प्रशिक्षणार्थियों द्वारा झंडा गीत पर आधारित नृत्य नाटिका- ‘सबका गर्व तिरंगा’ की प्रस्तुति की गई। प्रस्तुति में दर्शाया गया था कि किस प्रकार हमारा झंडा हमारे देश का स्वाभिमान है। यह हर भारतवासियों के लिए मान-सम्मान, पहचान, बलिदान एवं स्वाभिमान का प्रतीक है। आयोजित कार्यक्रम की परिकल्पना - श्री तरूण राज, नृत्य निर्देशन- सुश्री श्रुति शर्मा एवं सुश्री नीता जोशी तथा संगीत निर्देशन - श्री कमलाकांत एवं द्वारा किया गया।

उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ द्वारा कथक केन्द्र के संस्थापक, निदेशक एवं कथक सम्राट पं. लच्छू महाराज जी की जयंती के अवसर पर दो दिवसीय ‘नमन’ कार्यक्रम का आयोजन दिनांक- 31 अगस्त, व 01 सितम्बर, 2022 को किया गया। आजादी का अमृत महोत्सव आयोजन की श्रृंखला के अन्तर्गत कथकाचार्य पं0 लच्छू महाराज की जयंती पर समारोह की प्रस्तुतियों को मुख्यतः कथक के लास्य अंग पर आधारित रखा गया। समारोह का उद्घाटन अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.राजेश्वर आचार्य, पूर्व अध्यक्ष डॉ.पूर्णिमा पांडेय एव अकादमी सचिव श्री तरुण राज ने दीप प्रज्जवलन तथा कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज के चित्र पर माल्यार्पण करके किया। अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने कहा कि महापुरुष अपने कृतित्व से जीते हैं और अपनी यश काया में हमारे बीच रहते हैं। अकादमी की पूर्व अध्यक्ष डॉ.पूर्णिमा पांडेय ने कहा कि कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज ने नृत्य को अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। अकादमी के सचिव श्री तरुण राज ने आरंभ में स्वागत करते हुए अकादमी की गतिविधियों की जानकारी दी और बताया कि कथक केन्द्र ने किस प्रकार अपनी 50 वर्षों की लंबी यात्रा तय कर ली है। इस लंबी यात्रा में कथक के कई विख्यात गुरु केन्द्र से जुड़े तथा केन्द्र ने ढेर सारी यादगार कथक प्रस्तुतियां दीं।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आरंभ कथक केन्द्र की प्रस्तुति ‘कृष्ण वंदन’ से किया गया जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं एवं उनकी बांसुरी का वर्णन किया गया जो राग ‘खमाज’ एवं ताल ‘कहरवा’ में निबद्ध था तथा इसमें नटवरी एवं कवित्त का भी समावेश किया गया। तत्पश्चात् लखनऊ की युवा नृत्यांगना सुश्री ईशा एवं मीशा रतन ने युगल नृत्य का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राधा कृष्ण पर आधारित कविता पर भाव प्रदर्शन से किया जिसके बोल - ‘विष्णु की मोहमयी महिमा के असंख्य स्वरूप दिखा गया कान्हा’, अन्त में तीन ताल में कवित्त, परन, बेदम तिहाई, चक्करदार का सुंदर निकास एवं जुगलबंदी की गई।

दिल्ली से आये त्रिभुवन महाराज ने अपनी प्रस्तुति ‘विरासत’ में सर्वप्रथम शिव और पार्वती के अर्धनारीश्वर रूप पर आधारित पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज द्वारा रचित ‘अर्धान्ग भस्म भभूत सोहे अर्ध मोहिनी रूप’, से अपने कार्यक्रम का आरंभ किया, जिसमें पंडित लच्छू महाराज जी द्वारा रचित कवित्त भी शामिल था। तत्पश्चात तीन ताल में त्रिभुवन महाराज ने पारंपरिक कथक नृत्य किया, जिसमें लास्य अंगो का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम की अन्तिम प्रस्तुति स्विटजरलैंड से आईं पाली चन्द्रा ने ‘कथक नृत्य’ की सुन्दर प्रस्तुत दी। गुरु विक्रम सिंघे, पंडित राममोहन महाराज और कपिला राज से कथक की बारीकियां सीखने वाली पाली चन्द्रा ने इस मौके पर लखनऊ से अपने गहरे जुड़ाव को भी याद किया। अपने कार्यक्रम में उन्होंने जयदेव रचित ‘गीत गोविन्द’ के दो पदों की प्रस्तुति की जिनमें राधा के वियोग और श्रृंगार का वर्णन किया गया।

इसी कड़ी के अन्तर्गत कार्यक्रम की द्वितीय संध्या में अकादमी अध्यक्ष पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, उपाध्यक्ष श्री धन्नू लाल गौतम, पूर्व अध्यक्ष पूर्णिमा पांडेय, अकादमी सचिव श्री तरूण राज, वरिष्ठ नृत्यांगना कुमकुम धर एवं पाली चंद्रा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारम्भ किया।

प्रथम प्रस्तुति कथक केन्द्र द्वारा गुरु वंदन-‘गुरु चरनन में शीश नवाऊं’ से हुआ जिसमें कलाकारों ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए पंडित लच्छू महाराज को कथक के पुष्प समर्पित किए। अगली प्रस्तुति में कथक केन्द्र के कलाकारों ने रास-रंग की मनमोहक प्रस्तुति दी।

तत्पश्चात विख्यात कथक नर्तक पद्मश्री पंडित शंभू महाराज की पौत्री इप्शिता मिश्रा ने एकल नृत्य से कथक गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अपने कार्यक्रम में कबीर बानी से शुरुआत करते हुए पारंपरिक तीन ताल की प्रस्तुति की।

दिल्ली की ही शुभी जौहरी और अमित खिंची का युगल नृत्य भी संध्या में आकर्षण का केन्द्र रहा। पंडित बिरजू महाराज के पुत्र पंडित जयकिशन महाराज की शिष्या शुभी ने सूरदास के पदों की प्रस्तुति की। दुबई की स्वरश्री श्रीधर ने नज्म- ‘गोरी करत श्रृंगार’ पर भाव प्रस्तुत किया। इस नज़्म को लखनऊ के दिवंगत गायक रवि नागर ने संगीतबद्ध किया था। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में नयनिका घोष ने निरतत् ढंग की प्रस्तुति की जिसमें लखनऊ घराने की बारीकियां और खूबियों का सुंदर प्रदर्शन था।