अकादमी स्थापना दिवस ‘‘धरोहर’’ 2022-23
उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उ.प्र.) द्वारा 13 नवम्बर 2022 को ‘‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’’ के अन्तर्गत ‘‘धरोहर’’ कार्यक्रम का आयोजन सफलता पूर्वक किया गया। इस अवसर पर अकादमी सचिव तरुण राज की उपस्थिति में अतिथियों का स्वागत किया गया कार्यक्रम में अतिथि ब्रिगेडियर नवदीप सिंह, उनकी पत्नी एवं वैज्ञानिक नीरज दुबे उपस्थित रहे। अतिथियों एवं अकादमी सचिव तरुण राज, शैलजा कांत, राजेन्द्र नारायण मिश्र, सौरभ सक्सेना ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अकादमी सचिव, श्री तरुण राज ने कहा कि आज अकादमी 59 साल की उम्र में पहुंच गई है और अकादमी युवाओं की तरह सक्रिय है। प्रदेश की प्रदर्शनकारी कलाओं के उन्नयन, प्रचार एवं परिरक्षण हेतु प्रदेश सरकार ने इसकी स्थापना 13 नवम्बर 1963 को की गई थी। तब इसे उत्तर प्रदेश नाट्य भारती का नाम दिया गया था, जिसे 02 सितम्बर 1969 में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का वर्तमान नाम मिला। अकादमी के अन्तर्गत स्थापित कथक केन्द्र लखनऊ के विद्यार्थियों ने विशेष रूप से ‘‘कथक आयाम’’ की सुंदर प्रस्तुति दी। परंपरा के अनुरूप सबसे पहले गुरु वंदना और तराना पेश किया गया। इस क्रम में दूसरी प्रस्तुति आरोह में कलाकारों ने थाट, उठान, आमद, तिहाई की खूबसूरती को दर्शाते हुए कथक के लखनवी घराने की सशक्त झलक पेश की जो श्रृंगार की ठुमरी एवं सूफी रचनाओं के माध्यम से आरोह के स्वरूप को सुंदर रूप में विस्तारित किया गया,। तीसरी कथक प्रस्तुति ‘मेघ रंग’ अपने नाम के अनुरूप वर्षा ऋतु पर आधारित थी। मेघ रंग प्रस्तुति में महान कवि नागार्जुन की कविता मेघ बजे और सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’’ की कविता बादल राग को आधार बनाते हुए प्राकृतिक के उल्लास को कथक नृत्य के माध्यम से पेश की गई। यह रचना लक्ष्मी ताल 18 मात्रा, राग मेघ एवं मिया मल्हार में निबद्ध थी।
समारोह के दूसरे चरण में नायिका द वुमेन विदिन में नेहा सिंह मिश्रा और कांतिका मिश्रा ने पं.अनुज मिश्रा की अवधारणा को मंच पर साकार किया। पहली प्रस्तुति शक्ति में माँ दुर्गा राग बैरागी भैरव पर आधारित थी। उसमें में माँ शक्ति के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुए यह संदेश दिया गया कि हर स्त्री, शक्ति मां स्वरूपा हैं। दूसरी प्रस्तुति अन्तर्द्वन्द्व में दोनों कलाकारों ने शुद्ध कथक नृत्य को ताल धमार 14 तालों में दर्शाया गया। स्त्री विमर्श, अराजकता से लेकर मित्रता तक के वृहद समसामयिक विषयों को खूबसूरती के साथ इसमें पिरोया गया था। तीसरी प्रस्तुति मीरा में नेहा सिंह मिश्रा ने मीरा बाई के आध्यात्मिक स्वरूप के साथ भगवान कृष्ण के प्रति उनके समर्पण की ऊंचाइयों को भी दर्शाया। राग भिन्न षड्ज पर आधारित इस नृत्य में पारंपरिक कथक के भाव पक्ष को पेश किया गया। चौथी प्रस्तुति द्रौपदी में कांतिका मिश्रा ने द्रौपदी के क्रोध को नृत्य के माध्यम से कलात्मक रूप में पेश किया। इसमें दर्शाया गया कि द्रौपदी के अपराधी न होने पर भी स्त्रियां उसके पक्ष में नहीं आयीं थीं। अंतिम प्रस्तुति प्रतिबिम्ब में समाज के लिए सुखद संदेश दिया गया कि मौजूदा समय में महिलाएं हर क्षेत्र में यश अर्जित कर रही हैं। वह परस्पर एक दूसरे से प्रेरणा प्राप्त कर आगे बढ़ रही हैं।